प्रो. डा. स्वामीनाथनको "इंदिरा गांधी राष्ट्रीय एकात्मता पुरस्कार प्रदान !"

प्रा. डॉ. वि.सु. बावसकर


आज सबसे पहले मैं इस साल के इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता डॉ. एम. एस. स्वामी नाथन को बधाई देना चाहुंगा डॉ. स्वामीनाथन एक विश्व विख्यात कृषी वैज्ञानिक हैं जो भारत के किसानों के बहुत बडे हमदर्द और साथी भी हैं। उनको अपने लंबे करियर में तमाम सारे पुरस्कार और सम्मान मिले हैं। लेकिन मेरा मानना हैं! वह यह कि उन्होंने किसानों को खुशहाल और समृद्ध बनाने की दिशा मे काम करके भारत की एकता और अखंडता को मजबूत किया है।

इससे पहले कि डॉ. स्वामीनाथन जी के विषय में और कुछ कहुं, मैं उस महान नेता के बारे में चंद शब्द कहना चाहुंगा जिसके सम्मान में इस पुरस्कार की स्थापना की गई थी। श्रीमती इंदिरा गांधी जी का उन सभी आदर्शों और परंपराओं में गहरा विश्वास था जो हमारे देश को महान बनाती हैं। हमारे देश के अन्य महान नेताओं की तरह उनकी सोच धर्मनिरपेक्ष और उदार थी। वर्तमान समय में हमें इंदिरा जी द्वारा दिखाए गए रास्ते को याद करने की जितनी जरूरत है उतनी शायद पहले कमी नहीं रही। आज जब देशे के कुछ हिस्सों में समाज को धर्म, जाती और समुदाय को लेकर बांटने कि कोशिशें की जा रही है, इंदिरा जी का संदेश हमारे लिए और भी महत्वपूर्ण हो जाता है।

इंदिरा जी ने हमेशा देश की सामाजिक और आर्थिक प्रगति के लिए काम किया। वह आर्थिक विकास का फायदा आम आदमी तक और विशेष रूप से कमजोर तबकों तक पहुँचाना चाहती थीं। उन्हें मालूम था कि घर तक खुशहाली पहुंचने से अपने देश और समाज में हमारा विश्वास बढता है और हमारी एकता मजबूत होती है। उन्हें यह भी मालूम था कि घर घर जक खुशहाली पहुंचने के लिए कृषी का तेज विकास करना बहुत ही जरूरी है क्योंकि देश की आबादी का एक बडा हिस्सा कृषी पर निर्भर है।

इसीलिए इंदिरा जी ने देश मे हरित क्रांति लाने का काम किया। इस महान काम की बदौलत हम अनाज उत्पादन में आत्मनिर्भर हो पाए है. एक देश के रूप में हमारा आत्मविश्वास भी बढा है क्योंकि हमने उस स्थिती को बदला जिसमें हमें बड़े पैमाने पर अनाज का बाहर से आयत करना पड़ता था.

हरित क्रांति में डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन का एक बहुत बडा योगदान रहा। इनमें अनोखी वैज्ञानिक और प्रशासकीय काबिलियत है जिसका पुरा फायदा हमारे देश व् हमारे किसानो को मिला। यह कहना गलत नहीं होगा कि इंदिरा जी के नेतृत्व और डॉ. स्वामीनाथन की अनथक मेहमान की वजह से भारत में जो हरित क्रांति आई उसी की बुनियाद पर आगे काम करके आज हम खाद्य सुरक्षा कानून लागू कर पाए हैं.

मैँ डॉ.स्वामीनाथन की उपलब्धियों के बारे में जितना भी कहुं कम होगा। उनको अपने करियर में राष्ट्रीय और आंतरराष्ट्रीय स्तर पर जो सम्मान मिले हैं वह उनकी कामयाबियों का सबूत हैं। मैं अपनी बात समाप्त करने से पहले सिर्फ इतना और कहना चाहुंगा कि डॉ.स्वामीनाथन ने अपने काम में हमेशा गरीबों और कमजोर तबकों की मलाई का ख्याल रखा है। उन्होंने ऐसी तकनीकों और तरीकों पर जोर दिया हैं। जिससे पर्यावरण को नुकसान न हो और जो स्थाई तौर पर जोर दिया हैं। जिससे पर्यावरण को नुकसान न हो और जो स्थाई तौर पर अपनाई जा सकें। ऐसा करने से ही हमारे किसानों और खास तौर पर छोटे किसानो की आजीविका सुरिक्षत रह सकती ह। डॉ. स्वामीनाथन ने अपने काम में महिलाओं के हितों का भी ख़ास ध्यान रखा है। कृषी के क्षेत्र में काम कर रही महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में प्रयास करने के लिए उन्हें सम्मानित भी किया गया है।

मै एक बार फिर श्रीमती इन्दिरा गांधी को श्रद्धांजलि देता हूं और डॉ. एम. एस. स्वामीनाथन जी को आज के पुरस्कार के लिए बधाई देता हूं। मेरी ईश्वर से प्रार्थन है कि वह डॉ. स्वामी नाथन को भविष्य में और बहुत सारी सफलताएं प्रदान करे।"